मनुष्य जीवन में धर्माचरण पर विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि धर्माचरण मेंसत्य, सदाचार, *करुणा,दया, प्रेम,
*सहानुभूति और दान को ही विशेष महत्त्व दिया गया है।
आज मैं दान के विषय में चर्चा करुंगा कि आपको किसको-किसको दान देना चाहिए और किसको-किसको दान नहीं देना चाहिए।
आप यथाशक्ति गुरु,माता-पिता,अनाथ, गरीब, ब्राह्मण, सत्य बोलने वाले, विनम्र और अपने सच्चे मित्र को उदार मन और
प्रसन्न मन से दान करें! आपका इहलोक और परलोक दोनों संवर जाएगा।
लेकिन आप चुगली करनेवाले, झूठी प्रशंसा करने वाले, चरित्रहीन, दुराचारी,ठग, धूर्त, मूर्ख,अपराधी,झूठेलेन-देन
का धंधा करने वाले और अज्ञानी वैद्य को कभी भी व भूलकर भी दान न दें।इनको दान देने से आपका इहलोक और परलोक
दोनों लाखों वर्षों तक नरकभोगी बन जाता है।